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क्या ममता बनर्जी कानून से ऊपर हैं: अग्निमित्रा 

विधानसभा परिसर में भाजपा विधायक की गाड़ी की तलाशी से मचा सियासी तूफान

19 Jun 2025

क्या ममता बनर्जी कानून से ऊपर हैं: अग्निमित्रा 

कोलकाता। बंगाल की सियासत उस समय गरमा गई जब राज्य विधानसभा के प्रवेश द्वार पर भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल की गाड़ी को रोककर सुरक्षा जांच की गई। पुलिस ने उनकी गाड़ी के डिक्की तक की तलाशी ली, जिससे आक्रोशित भाजपा ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। यह घटना न सिर्फ विधानसभा परिसर में तनाव का कारण बनी, बल्कि राज्य की राजनीति में गंभीर बहस का मुद्दा बन गई है।  
घटना के तुरंत बाद अग्निमित्रा पॉल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हूं। अगर मेरी गाड़ी की तलाशी ली जा सकती है, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की गाड़ी की तलाशी क्यों नहीं ली जाती? क्या वह कानून से ऊपर हैं? उन्होंने यह भी कहा कि टीएमसी विधायकों को बिना किसी जांच के विधानसभा में प्रवेश की अनुमति मिलती है, जबकि भाजपा नेताओं के साथ सुरक्षा के नाम पर जानबूझकर अपमानजनक व्यवहार किया जा रहा है। मौके पर पुलिसकर्मियों और अग्निमित्रा पॉल के बीच काफी देर तक बहस भी हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझकर रोका गया और यह भाजपा नेताओं को अपमानित करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। भाजपा ने इस घटना पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों का खुला उल्लंघन है। पार्टी नेताओं ने कहा कि विधानसभा की सुरक्षा व्यवस्था को राजनीतिक हथियार बना दिया गया है। यह साफ तौर पर विपक्ष को डराने और दबाने का प्रयास है। 
भाजपा का कहना है कि यदि विधानसभा की सुरक्षा व्यवस्था सभी के लिए समान है, तो तृणमूल के नेताओं, मंत्रियों और खुद मुख्यमंत्री की गाडिय़ों की तलाशी क्यों नहीं होती? मुर्शिदाबाद, मालदा जैसे संवेदनशील जिलों में भी तृणमूल नेताओं को छूट दी जाती है, यह सुरक्षा नहीं बल्कि पक्षपात है। अग्निमित्रा पॉल ने इस मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल से हस्तक्षेप की अपील की है। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक इस मुद्दे को विधानसभा के पटल पर जोरशोर से उठाएंगे। साथ ही पार्टी इसे केंद्र सरकार और राष्ट्रपति तक भी ले जाने की तैयारी कर रही है। घटना के बाद से अब तक तृणमूल कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। 
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस मामले को लेकर भाजपा आक्रामक हुई, तो यह विवाद एक बार फिर राज्यपाल बनाम राज्य सरकार के रिश्तों को भी प्रभावित कर सकता है।  विधानसभा जैसे लोकतांत्रिक संस्थानों में समान व्यवहार और निष्पक्ष सुरक्षा व्यवस्था जरूरी है। अगर किसी दल के नेताओं के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया जाता है, तो वह न सिर्फ लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन है, बल्कि राजनीतिक असहिष्णुता को भी उजागर करता है। भविष्य में यह मुद्दा बंगाल की राजनीति का एक बड़ा बहस का विषय बन सकता है। 

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